पद्म भूषण, दादा साहेब फाल्के और नेशनल अवॉर्ड जीत चुकीं वहीदा रहमान को किसी परिचय की जरूरत नहीं है.
वहीदा सिनेमा में आई तो दिग्गज अभिनेत्रियों की लिस्ट में खुद को शामिल करना जरा भी आसान नहीं था, क्योंकि उस दौर में मधुबाला, नरगिस और मीना कुमारी जैसी सुपरस्टार्स पहले से ही पैर जमाए बैठी थीं.
वहीदा रहमान ने इत्तेफाक से सिनेमा की दुनिया में कदम रखा. इसकी कहानी बड़ी दिलचस्प है.
वहीदा रहमान यूं तो सिनेमा में अपनी अदायगी के लिए जानी जाती हैं, लेकिन वास्तव में वह कभी भी एक्टिंग करना नहीं चाहती थीं.
वहीदा रहमान को डॉक्टर बनना था लेकिन पिता की मौत के बाद उनका ये ख्वाब टूट गया.
वहीदा रहमान ने बचपन में ही अपने पिता को खो दिया था. पिता के निधन के बाद परिवार को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
परिवार का पेट पालने के चलते वहीदा डॉक्टर का सपना छोड़ फिल्मों के ऑफर्स स्वीकार करना पड़ा और इस तरह वह एक्ट्रेस बन गई.
साउथ फिल्मों में जब एक्टर और निर्माता -निर्देशक गुरुदत की नजर वहीदा पर गई तो वो उनके चार्म के दीवाने हो गए.
दत्त साहब ने वहीदा को अपनी थ्रिलर फिल्म 'सीआईडी' में कास्ट किया था. वहीदा को हिंदी सिनेमा में 'प्यासा' ने पहचान दिलाई.
फिल्म कमर्शियली सक्सेसफुल रही और वहीदा के साथ गुरु दत्त की जोड़ी को खूब पसंद किया गया.
गुरु दत्त और वहीदा ने साथ में कई फिल्में कीं. कुछ रोमांटिक ड्रामा भी रहीं. ऐसे में फिल्मी गलियारों में दोनों के अफेयर की चर्चा होने लगी.
वहीदा की वजह से ही गुरु दत्त की पत्नी उन्हें छोड़कर चली गई थी. वहीदा ने भी गुरु से प्रोफेशनली नाता तोड़ दिया था.
अभिनेता की बहन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि 'साहिब बीबी और गुलाम' के आखिरी सीन को शूट करने के लिए गुरु दत्त को वहीदा से मिन्नतें करनी पड़ गई थीं.