'मेरी चुनर उड़-उड़ जाए', 'याद पिया की आने की आने लगी' और मैंने पायल है छनकाई' जैसे कई हिट गाने गाकर फाल्गुनी पाठक ने अपनी अलग पहचान बनाई थी.
फाल्गुनी पाठक आज भले ही सिंगिंग इंडस्ट्री से गायब हों, लेकिन एक दौर था जब हर तरफ उनके ही गाने सुनाई दिया करते थें.
फाल्गुनी पाठक ने 1987 में अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत की, लेकिन 1995 के बाद उन्हें लोगों के बीच पहचान मिली.
फाल्गुनी का जन्म गुजरात के ऐसे परिवार में हुआ था, जिनकी चार बेटियां थीं.
फाल्गुनी को बचपन से ही सिंगर बनने का शौक था. फाल्गुनी जब 9 साल की थीं, तब उन्होंने पहली बार स्टेज शो में हिस्सा लिया.
गुजराती फिल्मों में भी गाने का मौका मिला और फिर पॉपुलर प्लेबैक सिंगर अलका याग्निक के साथ गाना गाने का मौका मिला.
उनका पहला एल्बम 'चूड़ी जो खनके हाथों में...याद पिया की आने लगे भीगी भी रातों में 'सुपरहिट रहा.
फाल्गुनी ने कई बार और सुपरहिट एल्बम निकाले. 2004 के बाद उनकी लोकप्रियता कम होती गई.
कई फिल्मों के लिए भी गाने गाए लेकिन वो बॉलीवुड में पूरी तरह एक्टिव नहीं रही.
करियर की पीक पर उन्हें कई ऑफर आते थे, लेकिन वो गाने से मना कर देती थीं.