लाल-काली-पीली नहीं... ये हैं दालों के असली नाम

आजकल के बच्चे इस बात पर गर्व महसूस करते हैं कि उन्हें दालों के नाम नहीं पता. कोई पूछे तो बस इतना कहते हैं कि लाल दाल या पीली दाल.

लेकिन यह गर्व की बात नहीं है क्योंकि यह ज्ञान की कमी है. आपको आपकी किचन के इंग्रेडिएंट्स के बारे में जानना चाहिए.

अरहर की दाल को देश के कुछ हिस्सों में तुअर की दाल के नाम से भी जाना जाता है. यह दाल तासीर यानी प्राकृतिक रूप से ठंडक देनेवाली होती है. इसे अंग्रेजी में split Pigeon pea नाम से जाना जाता है.

साबुत मसूर को पीसकर मसूर की दाल बनाई जाती है. यह दो तरह की होती है. एक छिलके सहित और दूसरी बिना छिलके की. बिना छिलके की मसूर की दाल हल्के लाल रंग की होती है. इसे मसूर की धुली दाल भी कहते हैं. वहीं, साबुत मसूर की तासीर ठंडी होती है. अंग्रेजी में इसे Red Lentil नाम से जानते हैं.

मूंग की दाल साबुत मूंग को पीसकर बनाई जाती है. यह भी दो तरह की होती है. एक छिलके सहित और दूसरी बिना छिलके के. बिना छिलके की दाल हल्के पीले रंग की होती है और इसे मूंग की धुली दाल कहा जाता है. यह दाल प्रकृति में ठंडी होती है. दूसरी, छिलके सहित दाल को हरी मूंग कहते हैं.  

मूंग को बहुत सी जगह साबुत भी खाया जाता है. यह फाइबर और प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है. मूंग दाल को पाचन के लिए बहुत हेल्दी माना जाता है. पोषक तत्वों से भरपूर इस दाल को वेट लॉस में फायदेमंद माना जाता है.

साबुत उड़द को पीसकर बनाई गई दाल को उड़द की दाल कहते हैं. यह भी दो तरह की होती है. छिलके सहित और बिना छिलके की. बिना छिलके की दाल उड़द की धुली दाल कहलाती है. इसका उपयोग पापड़, बड़ियां, फ्राइज और कई पकवान बनाने में होता है. उड़द को इंग्लिश में Black Gram Whole कहते हैं जबकि इसकी दाल को Black Lentil कहते हैं. 

चने की दाल काले चनों को पीसकर बनाई जाती है. इन चनों को देसी चना भी कहते हैं. चने की दाल को किसी भी मौसम में खाया जा सकता है. देसी चने को अंग्रेजी में Bengal Gram कहते हैं जबकि चने की दाल को Yellow lentil और Bengal gram split कहा जाता है. 

लोबिया महादिल होता है, यानी ऐसा खाद्य पदार्थ जिसे सर्दी और गर्मी में समान रूप से खाया जा सकता है. और यह मौसम के हिसाब से आपके शरीर को लाभ पहुंचाता है. लोबिया को Black eyed peas और Cow pea भी कहा जाता है.