आयुर्वेद में पत्थरचट्टा को कहते हैं जादुई दवा, जानें इसके 9 फायदे
आयुर्वेद में पत्थरचट्टा को किडनी की पथरी के लिए रामबाण इलाज माना जाता है. इसके सेवन से पथरी के मरीजों को काफी राहत मिलती है.
पत्थरचट्टे के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से पेशाब में जलन, पेशाब का रुक-रुक कर आना, दर्द होना जैसी पेशाब की समस्याओं में राहत मिलती है.
पत्थरचट्टे के पत्तों के रस की कुछ बूंदों को पानी में मिलाकर रोज खाली पेट पीने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को कंट्रोल किया जा सकता है.
पत्थरचट्टे के पत्तों के पेस्ट को पीसा हुआ जीरा और आधा चम्मच देशी घी के साथ सेवन करने से दस्त में राहत मिलती है.
रैशेज या खुजली की समस्या से राहत पाने के लिए पत्थरचट्टे की पत्तियों का लेप लगाने से राहत मिलती है.
पत्थरचट्टा के पत्तों के लेप में ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो घाव के ठीक होने की प्रक्रिया को तेज कर देते हैं.
पत्थरचट्टा के पत्तों में एंटी बैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं, जो संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद करते हैं.
पत्थरचट्टा में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो हड्डियों के दर्द को कम और सूजन में कमी ला सकता है.
पत्थरचट्टा के रस में सौंठ का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से पेट दर्द में जल्दी राहत मिलती है.