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आम को फलों का राजा कहते हैं. इसका स्वाद हर किसी को पसंद आता है. आम की बढ़ती मांग और ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में कई बार फल बेचने वाले केमिकल से पकाए आम बेचने लगते हैं, जो सेहत के लिए नुकसानदायक होते हैं.
यदि आप आम खरीदने जा रहे हैं तो सबसे पहले उसके आकार को देखें. केमिकल से पके हुए आम का साइज पेड़ पर पके आम से छोटा होता है.
पेड़ पर पके आम और केमिकल से पकाए गए आम को आप पानी की बाल्टी में डालकर चेक कर सकते हैं. जो आम पानी में डूब जाए वो अच्छे और प्राकृतिक रूप से पके हुए होते हैं और जो आम पानी के ऊपर तैरते हैं वे केमिकल से पकाए हो सकते हैं.
केमिकल से पकाए गए आम को खाने पर आपके मुंह में जलन महसूस हो सकती है. कई लोगों को तो ऐसे आम खाने पर पेट में दर्द, दस्त और उल्टी जैसी शिकायतें होने लगती हैं.
पके आम की पहचान करने के लिए उसे खरीदते समय हल्का सा दबाकर देखें. यदि आम सॉफ्ट लगे तो यह पके हुए आम की पहचान है लेकिन दबाने पर आम कुछ जगह सख्त महसूस हो तो हो सकता है कि यह सही तरह से पका हुआ नहीं है बल्कि उसे केमिकल से पकाया गया है.
केमिकल से पके हुए आम के ऊपर हरे रंग के धब्बे नजर आते हैं. ये पेड़ पर पके आमों से देखने में अलग नजर आते हैं.
आम नेचुरल तरीके से पके हुए हैं या नहीं, इसका पता लगाने के लिए उन्हें काटकर देखें. यदि आम बाहर से पका हुआ लग रहा है लेकिन उसे काटने के बाद उसमें से रस नहीं टपक रहा है तो समझ जाएं कि इसे केमिकल से पकाया गया है.
प्राकृतिक रूप से पके आमों में मीठे फल जैसी महक होती है जबकि आर्टिफिशियल रूप से पकाए गए आमों में केमिकल या अलग महक हो सकती है. यदि आम में अजीब या अलग तरह का महक है तो यह आर्टिफिशियल तरीके से पका हुआ हो सकता है.
आप आम को घर में बिना केमिकल के पका सकते हैं. तीन से चार पेपर में आम को लपेटकर घर के किसी कोने में रख दें और उसके ऊपर और नीचे जूट की बोरी लपेट दें. चार से पांच दिनों में आम पूरी तरह पक जाएंगे.