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मखाना अधिकतर घरों में खाया जाता है. ये एक हल्का-फुल्का स्नैक्स है.
नियमित तौर पर इसे खाया जाए तो इससे सेहत को काफी फायदा होता है.
भारत के लगभग हर हिस्से में मखाना खाया जाता है. लेकिन अधिकतर लोग यह नहीं जानते हैं कि आखिर ये बनता कैसे है.
बिहार के मिथिलांचल में मखाने की खेती होती है. ये खेती तालाबों में की जाती है.
दिसंबर से जनवरी के बीच मखाना के बीजों की बोआई तालाबों में होती है. जुलाई में पानी की सतह पर इसके फूल तैरते पाए जाते हैं.
इसके बाद बीजों को सूरज की तेज धूप में सुखाते हैं.
मखाने को उगाने के लिए खाद या कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं होता.
मखाने के बीजों को इकट्ठा करने के लिए इंसान तालाब के अंदर गोता लगाते हैं.
फिर बांस के टोकरे में कमल के फूलों को बाहर निकाला जाता है.
जिस पानी से मखानों को बाहर निकाला जाता है, वह काफी गंदा होता है. इतना ही नहीं इन्हें साफ करने के लिए पैरों से भी कुचला जाता है.
बता दें, मखाने में प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन से लेकर कैल्शियम, मिनरल्स, न्यूट्रिशियंस सबकुछ होता है.