घी से जुड़े 5 मिथक

घी को लेकर सभी के मन में कई मिथ्स होते हैं. वेट कॉन्शियस लोग इसका सेवन करने से बचते हैं लेकिन सच्चाई ठीक इससे उलट है.

आइए आज जानते हैं घी से जुड़े 5 मिथक और उसकी सच्चाई.

30 दिन तक चाय छोड़ने पर आपका ब्लड शुगर लेवल गिर सकता है.

ये सच है कि घी में फैट होता है, लेकिन इसे सीमित मात्रा में लेने से वजन नहीं बढ़ता है. सैचुरेटेड फैट आपकी पूरे दिन में ली गई कुल कैलोरी का 10% होना चाहिए.

घी को अक्सर हमारे दिल के लिए हानिकारक माना जाता है. इसमें मौजूद वसा बैड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को बढ़ा सकती है.

हालांकि ये तभी चिंताजनक हो जाता है जब आप इसका जरूरत से ज्यादा मात्रा में सेवन करना शुरू कर देते हैं.

कहा जाता है कि लैक्टोज सेंसिटिव लोगों को घी से परहेज करना चाहिए. लेकिन ये सच नहीं है. 

घी में 100% वसा होता है, इसलिए अगर आप लैक्टोज सेंसिटिव हैं तो आपको इसके सेवन के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है.

घी को पचाना मुश्किल होता है. ये फैक्ट एकदम गलत है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के अनुसार, घी अन्य तेलों की तुलना में पचने में आसान होता है.

खाना पकाने के दौरान घी भोजन में कोई हानिकारक यौगिक नहीं छोड़ता है. यह खाना पकाने के लिए पसंदीदा फैट में से एक है. इसलिए अगर आप किसी धारणा की वजह से घी में पाना नहीं पकाते तो आज से ऐसा करना बंद कर दें.

औसतन एक वयस्क को प्रतिदिन 1 चम्मच घी (15ml) का सेवन करना चाहिए.