ऑटिज्म एक मानसिक रोग है, जिससे हर व्यक्ति में अलग-अलग लक्षण होते हैं. यह बीमारी आनुवंशिक नहीं है और किसी भी बच्चे को हो सकती है.
इससे पीड़ित बच्चे का मानसिक विकास रुक जाता है और वो लोगों से मिलने जुलने से भी कतराते हैं.
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम के लक्षण बच्चों में बचपन से ही दिखाई देने लगते हैं.
ऑटिज्म किसे होगा या किसे नहीं, इसे न तो पहले से जाना जा सकता है और न ही रोका जा सकता है.
ऑटिज्म के लक्षणों की पहचान जितनी कम उम्र में होगी, उसका इलाज उतना ही कारगर होता है.
इस बीमारी से ग्रसित लोगों की अपनी ही दुनिया होती है. इससे पीड़ित बच्चों को समझने और बोलने में समस्या होती है.
इसके प्रमुख लक्षणों में दूसरे बच्चों के साथ न खेलना, आंख मिलाने से बचना, ठीक से नींद न आना, किसी भी चीज में कोई रुचि नहीं रखना शामिल होते हैं.
ऑटिज्म में ऑक्यूपेशनल थेरेपी, डेवलपमेंटल थेरेपी, बिहैवियरल थेरेपी, ग्रुप थेरेपी, सेंसरी इंटीग्रेशन, स्पीच थेरेपी दी जाती है.
कुछ ब्रेन एक्सरसाइज, आयरन सप्लीमेंट्स, ओमेगा 3 फैटी एसिड सप्लीमेंट्स, बायोटिन विटामिन सुधार ला सकते हैं.