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छींक तब आती है जब नाक में किसी प्रकार की जलन होती है, जैसे धूल, धुआं यो कोई कण. यह शरीर की एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है.
एलर्जी के कारण छींक आना बहुत आम है. पालतू जानवरों के बाल और धूल मिट्टी एलर्जी का कारण बनते हैं, जिससे बार-बार छींकें आती हैं.
जब व्यक्ति को सर्दी या फ्लू होता है, तो नाक के भीतर की झिल्ली सूज जाती है और छींकें आने लगती हैं.
मौसम बदलने पर, खासकर ठंड या गर्मी के मौसम में, छींक आना आम है. यह नाक के तापमान में बदलाव से होता है.
बहुत तेज या तीखी गंध जैसे इत्र, स्प्रे या केमिकल भी छींक आने का कारण बन सकते हैं.
स्मोकिंग, गाड़ियों का धुआं, या प्रदूषण नाक के अंदर जलन पैदा कर सकते हैं, जिससे छींक आ सकती है.
कुछ लोगों को तेज रोशनी देखकर छींक आती है. इसे फोटिक स्नीज रिफ्लेक्स कहा जाता है.
कभी-कभी नाक के अंदर कोई छोटा कण फंस जाता है, जिसे शरीर छींक के माध्यम से बाहर निकालने की कोशिश करता है.
कुछ मसालेदार भोजन जैसे मिर्ची या गर्म सॉस खाने से नाक में जलन हो सकती है, जिससे छींक आती है.