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भगवान गणेश को दूब यानी दूर्वा घास बहुत पसंद है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणपती बप्पा ने राक्षस अनलासुर को निगल लिया था, जिसके बाद उन्हें पाचन से जुड़ी समस्या और पेट में बहुत जलन होने लगी थी.
गणेश जी को परेशान देख कश्यप ऋषि ने पेट के जलन को शांत करने के लिए गणपती बप्पा को 21 दूर्वा घास खाने के लिए दी थी. इससे गणेशजी का पेट का ताप शांत हो गया था. तभी से गणेश चतुर्थी की पूजा में और बुधवार के दिन गणपति को दूब घास चढ़ाई जाती है.
दूब घास स्वास्थ्य को कई फायदे पहुंचाती है. इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. यही वजह है कि आयुर्वेद में हरी दूब को महाऔषधि माना जाता है. दूब में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फाइबर, पोटाशियम जैसे कई पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मौजूद होते हैं.
मसालेदार खाना खाने से कई बार गैस, एसिडिटी और उल्टी की समस्या होने लगती है. ऐसे में दूब घास का सेवन फायदेमंद होता है. दूब का रस पिलाने से उल्टी बंद हो जाती है.
दूब घास पीसकर उसे चावल के धोवन के साथ पिलाने से उल्टी बंद हो जाती है. यदि दस्त की समस्या है तो दूब को सोंठ और सौंफ के साथ उबाल लें और इसे छानकर पी लें.
किडनी स्टोन होने पर दूब घास का सेवन फायदेमंद माना जाता है. इसके लिए दूब को 30 मिली पानी के साथ पीस लें और मिश्री मिलाकर सुबह-शाम इस पानी को पी लें. इससे पथरी टूट-टूट कर निकल जाएगी.
डायबिटीज पेशेंट के लिए दूब घास का सेवन फायदेमंद होता है. आर रक्त शर्करा को बढ़ने से रोकने के लिए और नियंत्रित करने के लिए खाली पेट दूर्वा के जूस का सेवन कर सकते हैं.
एनीमिया से पीड़ित लोगों के लिए दूब का रस अमृत माना जाता है. दूब के रस को हरा रक्त भी कहा जाता है. इसका जूस पीने से एनीमिया की समस्या दूर होती है. दूब खून को साफ करने के साथ शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को भी बढ़ाने का काम करती है.
सुबह नंगे पांव हरी दूब पर चलने से तनाव की वजह से होने वाले माइग्रेन के दर्द को दूर करने में सहायता मिलती है. दूब को पीसकर उसका लेप अपने पैरों और माथे पर लगाने से मस्तिष्क को ठंडक मिलने के साथ दिमाग शांत होता है.