काले, भूरे और सफेद तिल के फायदे लगभग बराबर ही हैं, क्योंकि सभी में औषधीय गुण मौजूद हैं.
तिल के उपयोग से न सिर्फ स्वस्थ रहा जा सकता है, बल्कि बीमारी की अवस्था में कुछ लक्षणों को कम भी किया जा सकता है.
तिल के बीज को शाकाहारी आहार के लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है, क्योंकि इसे प्रोटीन का अच्छा स्रोत माना गया है.
तिल मधुमेह के रोगियों में हृदय संबंधी समस्याओं को सुधारने में मदद कर सकता है. इसके अलावा, तिल शरीर में इंसुलिन के स्तर को भी नियंत्रित कर सकता है, जिससे डायबिटीज के लक्षणों को सामान्य करने में मदद मिल सकती है.
जब शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाती है, तो हृदय संबंधी रोग होने का खतरा बढ़ जाता है. इस लिहाज से स्वस्थ हृदय के लिए के लिए तिल के बीज का सेवन लाभदायक हो सकता है.
तिल में मौजूद एटी-कैंसर और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण कैंसर के खतरे से बचाने में मदद कर सकता है. ध्यान रहे कि तिल का सेवन सिर्फ कैंसर से बचा सकता है. इसे कैंसर का इलाज समझना गलत होगा.
अस्थमा में तिल का सेवन करने से इस समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सकता है.
हड्डियों को मजबूत करना भी तिल के गुण में शामिल है. तिल के तेल से बनने वाले पेस्ट में कैल्शियम होता है. इस लिहाज से यह हड्डियों को मजबूत बना सकता है.
तिल आंखों के लिए भी बेहद फायदेमंद साबित होता है. तिल में एंटीबैक्टीरियल गुण होता है, जो आंखों की रोशनी को बढ़ा सकता है.
तिल ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है. तिल में एंटीहाइपरटेंसिव गुण पाया जाता है. इस गुण के कारण यह हाई ब्लड प्रेशर में प्रभावी साबित हो सकता है.
तिल का इस्तेमाल सूजन कम करने में भी किया जा सकता है. तिल के बीज में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होता है, जो सूजन को कम करने में मदद कर सकता है.
यहां बताई गई सभी बातें सामान्य जानकारी पर आधारित है. कुछ भी अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.