कोरोना काल के बाद होम्योपैथी पर बढ़ा भरोसा

विश्व में हर साल 10 अप्रैल को होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है.

इसी दिन होम्योपैथी के जनक डॉ. सैमुअल हैनिमैन का जन्म हुआ था.

होम्योपैथी दवाओं के जरिए इलाज तो सालों से किया जा रहा है लेकिन कोरोना काल के बाद इन दवाओं की मांग काफी बढ़ गई है.

क्योंकि इसके साइड इफेक्ट की संभावना कम और रोग ठीक होने की संभावना अधिक देखी गई है. 

कोविड काल में होम्योपैथी का इलाज रामवाण बनकर उभरा था. कोरोनाकाल के बाद से होम्योपैथी के प्रति लोगों का रुख 60 प्रतिशत तक बढ़ गया है.

कोरोना में होम्योपैथिक दवाओं ने महामारी के फैलाव को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाई थी.

कई मरीजों को जिन्हें अस्पतालों में इलाज से मना कर दिया गया था, उनका इलाज भी होम्योपैथी से किया गया था.

हालांकि इन दवाओं का कोई साइड इफ्केट नहीं है लेकिन फिर भी इनका सेवन डॉक्टरों की सलाह पर ही करना चाहिए.