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मां का दूध बच्चे के लिए अमृत के समान होता है. बच्चे को पहला आहार ब्रेस्टफीडिंग से ही मिलता है.
मां के दूध से बच्चे को ताकत और पोषण दोनों मिलता है. इसलिए बच्चे के जन्म से 6 महीने तक ब्रेस्टफीडिंग करानी चाहिए.
भारत में ब्रेस्टफीडिंग को लेकर कई मिथक प्रचलन में हैं. इसपर ज्यादातर लोग भरोसा कर लेते हैं और इसका नुकसान उठाना पड़ता है.
चलिए आपको ब्रेस्टफीडिंग को लेकर कुछ ऐसे मिथक के बारे में बताते हैं, जो पूरी तरह से गलत हैं.
ब्रेस्टफीडिंग को लेकर कहा जाता है कि मां जैसा खाएगी, वैसा ही बच्चा पाएगा. इसलिए मां को कई चीजें खाने से मना किया जाता है.
नवजात की मां को मटर, मसूर, चना और उड़द खाने से मना किया जाता है, क्योंकि ये बच्चे के पेट को खराब कर सकते हैं.
माना जाता हैं कि अगर मां को बुखार है और वो बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराती है, तो बच्चे को भी बुखार हो जाएगा.
कई लोगों का मानना हैं कि बच्चे को बस 20 मिनट ही दूध पिलाना चाहिए. ये गलत है. बच्चे अपने हिसाब से दूध पीते हैं.
माना जाता हैं कि लेटकर फीडिंग नहीं कराना चाहिए. ये सेफ नहीं है. लेकिन ये गलत है, लेटकर फीडिंग कराना सुरक्षित होता है.