भारत में प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों का एक समृद्ध इतिहास है, जिसने दुनियाभर में चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया है.
भारत ने दुनिया को कई ऐसे दवाएं दी हैं जो अपने समय में कहीं नई थीं.
दुनिया को आयुर्वेद भारत ने दिया है. इसमें अलग-अलग हर्बल उपचार शामिल हैं. इसमें श्वगंधा, त्रिफला और ब्राह्मी जैसी चीजें शामिल हैं.
सुश्रुत संहिता सर्जरी और चिकित्सा पर एक व्यापक ग्रंथ है. ये प्राचीन भारतीय चिकित्सक सुश्रुत ने लिखा है. इसमें सर्जरी और मेडिसिन को लेकर कई उपचार बताए गए है.
सुश्रुत संहिता में अलग-अलग सर्जिकल प्रोसीजर और औषधीय पौधों के उपयोग के बारे में बताया है.
चरक संहिता एक और प्राचीन भारतीय ग्रंथ है जो आंतरिक चिकित्सा यानि इंटरनल मेडिसिन पर आधारित है.
चरक संहिता में अलग-अलग बीमारियों, उनके कारणों और उनके ट्रीटमेंट के बारे में बताया हुआ है.
नीम को एजाडिरेक्टा इंडिका के नाम से भी जाना जाता है. नीम के पेड़ के अलग -अलग भागों, जैसे पत्तियां, छाल और बीज, का उपयोग सदियों से पारंपरिक भारतीय चिकित्सा में किया जाता रहा है.
नीम में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और सूजन-रोधी गुण होते हैं. इसे अलग-अलग स्किन की बीमारियों में इस्तेमाल किया जाता है.
हल्दी या करकुमा लोंगा अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है. हालांकि हल्दी कोई 'दवा' नहीं है, फिर भी हल्दी का उपयोग सदियों से पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता रहा है.
ऐसा माना जाता है कि हल्दी में सूजनरोधी, एंटीऑक्सीडेंट और संभवतः कैंसररोधी गुण भी होते हैं.