आंखों का फड़कने को अक्सर अंधविश्वास से जोड़ा जाता है. ज्यादातर लोग इसे अशुभ मानते हैं लेकिन आंखों का फड़कना सेहत से जुड़ा हुआ है.
इंसान की आंख फड़कना नेचुरल है. मगर, कभी-कभी यह बीमारी भी होती है. जी हां, इसमें आपको डॉक्टर से जांच कराने की भी जरूरत पड़ सकती है.
आंखें फड़कर एक दो दिन में बंद हो जाए तो ये सामान्य है. लेकिन अगर ये अवधि एक दो हफ्ते या महीने तक पहुंच जाए तो ये बड़ा इशारा है.
आंखों के फड़कने की वजह से दो गंभीर बीमारियां होती हैं. पहली बिनाइन इसेन्शियल ब्लेफेरोस्पाज्म और दूसरी हेमीफेशियल स्पाज्म.
बिनाइन इसेन्शियल ब्लेफेरोस्पाज्म आंखों से जुड़ी गंभीर समस्या है.
इस बीमारी के दौरान लगातार आंखों के फड़कने के साथ-साथ आपके आंखों की मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं. जो आंखों की रोशनी के लिए भी घातक है.
वहीं, हेमीफेशियल स्पाज्म भी आंखों के फड़कने से ही शुरू होती है. आंखों के लगातार फड़ने के कारण संबंधित व्यक्ति हेमीफेशियल स्पाज्म का शिकार हो जाता है.
ऐसे में पलकों की मांसपेशियों के साथ-साथ इसका सीधा असर आपके चेहरे पर दिखाई देने लगता है. इस बीमारी में चेहरे का कुछ हिस्सा भी सिकुड़ने लगता है.