पेटेंट और जेनेरिक दवा में क्या फर्क है?

आप जानते हैं कि पेटेंट और जेनेरिक दवाओं में क्या अंतर होता है?

आमतौर पर पेटेंट दवाएं महंगी होती हैं जबकि जेनेरिक दवाएं थोड़ी सस्ती मिलती है.

एक ही कंपनी जेनेरिक और पेटेंट, दोनों दवाएं बनाती है, लेकिन उनकी कीमतों में काफी अंतर होता है.

आम तौर पर सभी दवाओं में एक तरह का ही केमिकल सॉल्ट होता है.

जेनेरिक दवाओं का कोई अपना ब्रांड नाम नहीं होता है. 

जेनेरिक दवाएं जिस सॉल्ट से बनी होती हैं, उसी के नाम से जानी जाती है. जैसे कि पैरासिटामोल अपने सॉल्ट नेम से मार्केट में बेची जाती है.

जेनरिक दवाओं में भी वही सॉल्ट होता है, जो ब्रांडेड कंपनियों की दवाओं में होता है. इसलिए ये बीमारी पर भी समान असर करती है.

जेनरिक और पेटेंट दवाइयों में मुख्य रूप से ब्रांडिंग, पैकेजिंग, स्वाद और रंगों का अंतर होता है.

जब कोई दवाई किसी बड़ी ड्रग कंपनी की ओर से बनाई जाती है तो यह ब्रांडेड या पेटेंट दवाई बन जाती है.

जेनरिक दवाइयां इसलिए सस्ती होती हैं क्योंकि यह किसी बड़े ब्रांड की नहीं होती हैं और इनकी मार्केटिंग पर ज्यादा खर्च नहीं आता.