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पत्थरचट्टा (Bryophyllum pinnatum), इसे आयुर्वेद में पाषाणभेद या एयर प्लांट भी कहा जाता है. यह एक मेडिसिनल प्लांट है जो कई स्वास्थ्य समस्याओं में फायदेमंद है.
1. इसके पत्तों, रस और काढ़े में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल, और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं. आइए जानते हैं इससे जुड़े आठ फायदे.
गुर्दे की पथरी (Kidney Stones): पत्थरचट्टा कैल्शियम ऑक्सालेट क्रिस्टल्स को तोड़कर पथरी को बाहर निकालने में मदद करता है. इसके पत्तों का रस या काढ़ा रोज़ सुबह खाली पेट लेने से पथरी कम हो सकती है.
2. पेशाब में जलन, रुक-रुक कर पेशाब, या यूरिन इन्फेक्शन में इसका काढ़ा या पत्तों का रस फायदेमंद है. यह मूत्र मार्ग को साफ रखता है और टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है.
3. इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करते हैं. पत्तों का लेप प्रभावित जगह पर लगाने या रस का सेवन करने से राहत मिलती है.
4. पत्तों का रस (5-6 बूंदें पानी में मिलाकर) रोज़ खाली पेट लेने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है. यह दिल के लिए भी फायदेमंद है.
5. पेट दर्द, अपच, या गैस के लिए पत्तों के रस में सोंठ पाउडर मिलाकर लेने से राहत मिलती है. यह खूनी दस्त को रोकने में भी मदद करता है (पत्तों का रस, जीरा, और घी मिलाकर).
6. इसके एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण घाव, फोड़े, रैशेज, और एक्जिमा को ठीक करने में मदद करते हैं. पत्तों को पीसकर लेप लगाने से घाव जल्दी भरता है.
7. इसके पत्तों का लेप माथे पर लगाने से सिरदर्द और माइग्रेन में राहत मिलती है.
8. इसके एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-फंगल गुण आंखों के दर्द और दांतों के दर्द को कम करने में मदद करते हैं.