एक इंसान को इस बात का ज्ञान हमेशा होना चाहिए कि उसे कहां बोलना है और कहां चुप रहना है.
कभी-कभी केवल बोलना ही समस्या का समाधान नहीं होता है.
गीता में उन परिस्थितियों के बारे में बताया गया है जब आपको चुप रहना चाहिए.
1. अगर आपको किसी विषय पर पर्याप्त जानकारी नहीं है तो चुप रहें.
2. जहां आपके शब्दों की कीमत नहीं, वहां चुप रहना ही बेहतर है.
3. अगर आप बहुत गुस्से में हैं तो चुप रहें.
4. अगर आप ज्यादा सीखना चाहते हैं तो चुप रहें.
5. जब कोई आपके सामने किसी दूसरे व्यक्ति की बुराई कर रहा हो उस वक्त मौन धारण करना ही बेहतर है.