श्रीमद्भागवत गीता में है खुशहाल जीवन का राज

श्रीमद्भागवद्गीता को ज्ञान का सागर माना जाता है. अगर आप अपने जीवन में गीता में लिखी बातों को अमल में लाएंगे तो कभी दुखी नहीं हो सकते.

श्रीमद्भागवद्गीता को खुशहाल जीवन की कुंजी बताया गया है. गीता के वचनों में जीवन के हर पहलू का सार छिपा है.

जो होता है अच्छे के लिए होता है. जो होगा अच्छे के लिए ही होगा. इसलिए कल क्या होगा इसपर विचार करना छोड़ दें.

कर्म करो फल की चिंता मत करो. जो चीज निश्वित है उसके लिए पछतावा करना व्यर्थ है.

परिवर्तन दुनिया का नियम है, आप अभी राजा हैं तो कल रंक भी हो सकते हैं.

दुनिया में आप खाली हाथ आए थे और यहां से खाली हाथ ही जाएंगे. 

वासना, क्रोध और लालच नरक के तीन द्वार माने गए हैं. ये तीनों चीजें आत्म-विनाशकारी हैं. अगर आपको सुखी रहना है तो आपको इन तीनों चीजों से दूर रहना चाहिए.

संदेह अच्छे से अच्छे रिश्ते में भी कड़वाहट पैदा कर सकता है. इसलिए खुशी रहना है तो संदेह करना छोड़ दें.

मनुष्य को किसी भी परिस्थिति में हौसला नहीं हारना चाहिए. जब तक आपकी सोच और विचार अच्छे नहीं हो जाते तब तक आपके अच्छे दिन नहीं आते हैं.

ज्यादा खुश या फिर ज्यादा दुखी होने पर निर्णय नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह दोनों परिस्थितियां आपको सही निर्णय नहीं लेने देती हैं.