मुख्य रूप से इंटरमिटेंट फास्टिंग वजन घटाने का तरीका है. तो वहीं रोजा धर्म से जुड़ा हुआ है.
हालांकि दोनों में ही खाना कम खाया जाता है. साथ ही केलोरी इंटेक भी काफी कम होता है. लेकिन दोनों का शरीर पर प्रभाव का क्या पड़ता है.
रोजे में तरल पदार्थ को पूरी तरह से दूर कर दिया जाता है. जबकि इंटरमिटेंट फास्टिंग में ऐसा नहीं किया जाता है.
रोजा रखने की एक समय सीमा होती है. साथ ही यह पवित्र महीने रमजान में रखा जाता है. जबकि इंटरमिटेंट फास्टिंग को आप अपने अनुसार कर सकते हैं.
रोजा मुसलिम समुदाय के लिए होता है. साथ ही यह पवित्र महीने रमजान में आता है. जबकि इंटरमिटेंट फास्टिंग को आप कभी भी कर सकते हैं.
रमजान में रोजे के दौरान रोजा खुलने पर हेल्दी फूड खाने पर जोर दिया जाता है.
साथ ही रोजे में खाए जाने वाला खाना काफी हद तक मुसलिम कल्चर से जुड़ा होता है.
तो वहीं इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान जो खाना खाया जाता है वह उनके न्यूट्रीएंट्स को देखते हुए खाया जाता है.