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साइलेंट ट्रीटमेंट मिलने पर खुद को शांत रखें और जल्दबाज़ी में कोई प्रतिक्रिया न दें। इसे समझने का प्रयास करें कि सामने वाला व्यक्ति क्यों ऐसा कर रहा है.
कभी-कभी व्यक्ति को सोचने और अपने इमोशन्स को संभालने के लिए समय चाहिए होता है. उन्हें थोड़ा स्पेस दें, ताकि वो शांत होकर बात कर सकें.
जब चीजें थोड़ी शांत हों, तो बातचीत की शुरुआत करें. बिना आरोप लगाए उनके दृष्टिकोण को समझने का प्रयास करें और अपनी भावनाओं को भी स्पष्ट रूप से व्यक्त करें.
उन्हें बताएं कि उनका साइलेंट ट्रीटमेंट आपको कैसा महसूस करवा रहा है, लेकिन आक्रामक तरीके से नहीं. बातचीत में संवेदनशीलता रखें.
समझने की कोशिश करें कि उनके साइलेंस के पीछे क्या भावनाएं हो सकती हैं. सहानुभूति दिखाने से बातचीत को सकारात्मक दिशा में ले जाने में मदद मिल सकती है.
यह सुनिश्चित करें कि दोनों लोग रिश्ते में अपनी भावनाओं और ज़रूरतों को समझते हैं और रिश्ते को महत्व देते हैं.
अगर साइलेंट ट्रीटमेंट बार-बार होता है, तो आपसी सीमाएं तय करना जरूरी हो सकता है. इसे रिश्ते में समस्या समाधान के एक अस्वस्थ तरीके के रूप में स्वीकार न करें.
समस्या की वास्तविक जड़ तक पहुंचें. साइलेंट ट्रीटमेंट अक्सर किसी बड़े भावनात्मक तनाव का परिणाम होता है. इसे समझने का प्रयास करें.
कभी-कभी समस्या का समाधान तुरंत नहीं होता. व्यक्ति को समस्या से निपटने का समय दें, लेकिन साथ ही संवाद बनाए रखें.
अगर साइलेंट ट्रीटमेंट का पैटर्न लगातार चलता है और रिश्ते पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है, तो कपल्स थैरेपी या प्रोफेशनल मदद लेना सहायक हो सकता है.
डिस्क्लेमर- यहां बताई गई बातें सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. Gnttv.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.