WHO ने मोबाइल गेम की लत को एक मानसिक बीमारी बताया है. इससे बच्चों को सेहत से लेकर पढ़ाई तक का नुकसान हो रहा है.
मोबाइल ज्यादा इस्तेमाल करने का असर बच्चों के विकास और उनकी नींद पर पड़ रहा है. इसकी वजह से बच्चे पढ़ाई में पिछड़ रहे हैं.
इसकी वजह से बच्चों को पढ़ाई में कम नंबर आ रहे हैं और खराब सोशल स्किल्स की समस्या भी उत्पन्न हो रही है.
मोबाइल की लत की वजह से बच्चे अपना होमवर्क तक छोड़ देते हैं. जिसकी वजह से वो पढ़ाई में पिछड़ जाते हैं.
ज्यादातर देर तक मोबाइल फोन इस्तेमाल करने से बच्चों की सेहत भी खराब होती है. उनकी आंखों की रोशनी पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
बच्चे मोबाइल इस्तेमाल करते समय एक जगह बैठे रहते हैं. ऐसे में वे गतिहीन जीवनशैली जीते हैं. वो बाहर खेलने की बजाय घर के अंदर रहना पसंद करते हैं.
पैरेंट्स को बच्चों की गतिविधियों को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है. उनको ये ध्यान देना चाहिए कि बच्चे कितनी देर तक मोबाइल इस्तेमाल कर रहे हैं.
पैरेंट्स को ये भी ध्यान देने की जरूरत है कि आपका बच्चा अपनी उम्र के हिसाब से ही कंटेंट देखे और ज्यादा समय तक स्क्रीन यूज ना करे.
भारत में भी मोबाइल फोन, वीडियो गेम और मोबाइल गेमिंग की लत बढ़ती जा रही है. इसपर कंट्रोल पाने की जरूरत है.
भारत में भी बच्चे खूब मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं. ज्यादातर बच्चे पूरा दिन मोबाइल पर गेम खेलते रहे हैं. जिसका उनको नुकसान उठाना पड़ता है.