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हमारे देश में लड़कियों के लिए शादी की कानूनी उम्र 18 साल और लड़कों के लिए 21 साल निर्धारित है.
कानूनी रूप से पति-पत्नी के बीच तीन साल का उम्र का अंतर स्वीकार्य माना जाता है. हालांकि समाज में उम्र के अंतर को लेकर कई धारणाएं हैं.
सिर्फ वैज्ञानिक पैमाने से ही शादी की उम्र तय नहीं हो सकती. दरअसल हर व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक परिपक्वता अलग होती है.
वैज्ञानिक और सामाजिक अध्ययनों के अनुसार शादीशुदा जोड़ों के बीच 2 से 5 साल का उम्र का अंतर आदर्श माना जाता है.
माना जाता है कि 2 से 5 साल के अंतर वाले कपल्स एक-दूसरे की सोच, शारीरिक ऊर्जा और जीवन के लक्ष्यों को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं.
यदि पति-पत्नी के बीच उम्र का फासला दो या दो साल से कम का होता है तो दोनों के बीच दोस्त जैसा रिश्ता बन सकता है लेकिन कभी-कभी परिपक्वता की कमी महसूस हो सकती है.
जिन कपल के बीच दो से पांच साल का आयु फासला होता है, अधिकतर मामलों में उनके मध्य सोच और जिम्मेदारी में संतुलन रहता है.
कपल के बीच यदि पांच साल से अधिक उम्र का अंतर होता है तो ऐसे रिश्तों में अनुभव और समझदारी तो आती है लेकिन पीढ़ी के फासले की वजह से कभी-कभी विचारों में टकराव भी हो सकता है.
यदि कपल के बीच उम्र का अंतर अधिक हो तो उनके बीच जीवन के लक्ष्य अलग हो सकते हैं. यदि सोच और प्राथमिकताएं मेल नहीं खातीं तो तनाव पैदा हो सकता है.
शादी के लिए केवल उम्र का मेल जरूरी नहीं है. इससे भी ज्यादा जरूरी है सोच और विचारों का मिलना, एक-दूसरे के प्रति सम्मान होना, जीवन के प्रति समान दृष्टिकोण रखना और भावनात्मक जुड़ाव.