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इंटरमिटेंट फास्टिंग इस समय काफी चलन में है. यह एक ऐसा खान-पान का तरीका है, जिसमें लोग खाने और उपवास के साइकिल को फॉलो करते हैं.
इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान लोग कुछ समय के लिए कुछ भी नहीं खाते हैं, जबकि बाकी समय सामान्य रूप से खाते हैं.
इंटरमिटेंट फास्टिंग के कई तरीके हैं जैसे कि 16/8 विधि यानी दिन में 16 घंटे उपवास और 8 घंटे खाने का समय. 5-2 विधि यानी सप्ताह में 5 दिन सामान्य रूप से खाना और 2 दिन कम कैलोरी वाला भोजन करना.
इंटरमिटेंट फास्टिंग से कैलोरी का सेवन कम होता है. इससे वजन कम करने में मदद मिलती है.
इंटरमिटेंट फास्टिंग मेटाबॉलिज्म को बढ़ा सकता है. इससे फैट बर्न होने की प्रक्रिया तेज हो सकती है.
इंटरमिटेंट फास्टिंग इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करने में मदद कर सकता है, जो टाइप-2 डायबिटीज का खतरा कम करता है.
इंटरमिटेंट फास्टिंग खराब कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकता है और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर सकता है. इससे दिल के स्वास्थ्य में सुधार होता है.
इंटरमिटेंट फास्टिंग ऑटोफैजी नामक एक प्रक्रिया को बढ़ावा दे सकता है. इसमें सेल्स डैमेज प्रोटीन और सेल्स को तोड़कर शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करती हैं.
इंटरमिटेंट फास्टिंग दिमाग के स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है और न्यूरोडिजेनरेटिव डिजीज के खतरे को कम कर सकता है.
इंटरमिटेंट फास्टिंग गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली महिलाएं, किशोर, बुजुर्ग और कुछ मेडिकल कंडिशन वाले लोगों को नहीं करना चाहिए.