जानें डायबिटीज और प्री-डायबिटीज में फर्क

आप प्री-डायबिटीज सरल भाषा में डायबिटीज की शुरुआत कह सकते हैं. इसमें दवा की जरूरत नहीं पड़ती है.

प्री-डायबिटीज को डायबिटीज का बॉर्डर लाइन भी कहते हैं. मतलब शरीर में ब्लड शुगर लेवल नॉर्मल से ज्यादा है.

अगर लाइफस्टाइल को सही कर लिया जाए तो इसे ठीक भी किया जा सकता है.

इसलिए प्री डायबिटीज के मरीजों को अपनी दिनचर्या को लेकर अलर्ट रहना चाहिए.

डायबिटीज आजकल काफी नॉर्मल बीमारी हो गई है. इसमें ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है.

मतलब जब शरीर में इंसुलिन ठीक तरह से काम नहीं करता है तब डायबिटीज हो जाता है.  

डायबिटीज में किडनी फेल, हार्ट डिजीज और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.

प्री-डायबिटीज में फास्टिंग प्लाज्मा 100 से 125 mg/dl तक होना चाहिए. अगर यह 126 mg/dl से ज्यादा हो जाए तो इसे डायबिटीज का संकेत माना जाता है.

फास्टिंग प्लाज्म में ब्लड शुगर लेवल की जांच होती है. ऐसे में अगर प्री-डायबिटीज के लक्षण नजर आए तो सर्तक हो जाना चाहिए.