जब भी हिंदू धर्म में कोई पावन व्रत व त्यौहार आता है तो लगभग हर व्यक्ति सबसे पहले गंगा स्नान करके अपने आप को शुद्ध करते हैं.
हिंदू धर्म के शास्त्रों में गंगा को मां का दर्जा प्राप्त है. जिस कारण इनको अधिक महत्व प्राप्त है.
ऐसा माना जाता है की जो कोई भी इस पवित्र नदी में एक बार डुबकी लगा लेता है उसके सारे पाप धूल जाते हैं.
धार्मिक दृष्टि से गंगा नदी में स्नान करने से पाप धूलने से साथ साथ अनंत पुण्यफल की प्राप्ति होती है.
स्मृतिग्रंथ में दस प्रकार के पाप बताए गए हैं जो गंगा स्नान करने से खत्म हो जाते हैं.
कायिक, वाचिक और मानसिक. इनके अनुसारकिसी दूसरे की वस्तु लेना, शास्त्र वर्जित हिंसा, परस्त्री गमन ये तीन प्रकार के कायिक यानी शारीरिक पाप हैं.
कटु बोलना, असत्य भाषण, परोक्ष में यानी पीठ पीछे किसी की निंदा करना, निष्प्रयोजन बातें करना ये चार प्रकार के वाचिक पाप हैं.
इनके अलावा परद्रव्य को अन्याय से लेने का विचार करना, मन में किसी का अनिष्ट करने की इच्छा करना, असत्य हठ करना ये तीन प्रकार के मानसिक पाप हैं.