अक्सर लोग शराब पीने के बाद मन की बातें बताने लगते हैं. वही, जब कोई चूक हो जाए तो बहाना में ज्यादा शराब पीना बताते हैं.
आइए जानते है कि क्या सच में लोग शराब पीकर सच बोलने लग जाते हैं.
शोध बताते हैं कि शराब का असर लोगों की तर्कशक्ति और फैसले लेने की क्षमता को कम कर देता है.
ऐसे में वे इसकी परवाह नहीं करते कि वे किससे क्या बात कर रहे हैं और इसीलिए वे जो भी मन में आए वह कहना शुरू कर देते हैं.
दरअसल, एल्कोहल मस्तिष्क के कई हिस्सों पर असर डालती है. शराब सीधे दिमाग को प्रभावित करती है. उसके सही तरीके से काम करने की प्रक्रिया में बाधा डालती है.
यही कारण है कि अक्सर गुस्से या प्यार का इजहार करने के मामले में शराब काम की चीज साबित होती है. फिर भी इस बात का यह मतलब नहीं कि वे जो भी कह रहे हों वह पूरी तरह सच हो.
इससे लोग बेपरवाह हो जाते हैं. वहीं वे कुछ समय के लिए बेवजह खुश या उत्साहित हो सकते हैं और अगर दुखी हैं तो और दुखी हो सकते हैं.
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि शराब आपको असली नहीं बनाती है और सच बोलने के लिए प्रेरित करने जैसा कोई प्रभाव यह आप पर नहीं डालती.
यह मानसिक दशा से अनुभव करवाती है, जिसमें आप पहले से होते हैं.