जीवन में सफलता के लिए हर रोज करें इन श्लोकों का पाठ

Photo Credits: Unsplash

हिन्दू धर्म शास्त्रों में मंत्रों का बड़ा महत्व माना जाता है. मंत्रोच्चार की शक्ति से व्यक्ति अपने काम को साध सकता है.

शास्त्रों में बताया गया है कि मंत्रों के अलावा, श्लोकों के जाप से भी कई काम बन जाते हैं. शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि हर एक श्लोक किसी न किसी बाधा को काटने का काम करता है. 

आज हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे श्लोक, जिनका हर रोज जाप करने से आपको जिंदगी में तरक्की और सफलता मिलेगी. 

विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्। पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम्।। अर्थ- ज्ञान विनय देता है; विनय से पात्रता, पात्रता से धन, धन से धर्म और धर्म से सुख की प्राप्ति होती है.

उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः। न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः।। अर्थ- उद्यम से ही कार्य सफल होते हैं, ना कि मनोरथों से. ठीक उसी प्रकार जैसे सोये हुए शेर के मुंह में हिरण स्वयं नहीं आता, उसके लिए शेर को परिश्रम करना पड़ता है. 

यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रिया। चित्ते वाचि क्रियायां च साधूनामेकरूपता।। अर्थ-  जैसा मन होता है वैसी ही उसकी वाणी होती है, जैसी वाणी होती है वैसे ही उसका कार्य होता है. सज्जनों के मन, वाणी एवं कर्म में एकरूपता अर्थात समानता होती है

अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्।। अर्थ- अपना बन्धु नहीं है, इस तरह की गणना छोटे चित्त वाले लोग करते हैं. उदार हृदय वाले लोगों की तो (सम्पूर्ण) धरती ही परिवार है.

अलसस्य कुतो विद्या, अविद्यस्य कुतः धनम्। अधनस्य कुतो मित्रम्, अमित्रस्य कुतः सुखम्।। अर्थ- जो आलस करते हैं उन्हें विद्या नहीं मिलती, जिनके पास विद्या नहीं होती वो धन नहीं कमा सकता, जो निर्धन हैं उनके मित्र नहीं होते और मित्र के बिना सुख की प्राप्ति नहीं होती.

अगर आप स्टूडेंट हैं तो अपने स्टडी रूम में, अगर आप नौकरी पेशा हैं तो अपने ऑफिस में और अगर आप व्यापारी हैं तो अपने कारोबार स्थल पर बैठकर इन श्लोकों का अकेले में पाठ करें. इन श्लोकों को शुद्धता से पढ़ें. झूठा मुंह, गंदे हाथ या गंदी जगह पर बैठकर पढ़ने से बचें.