स्टडी में सामने आया है कि हर पांच टैटू इंक में से एक में कार्सिनोजेनिक केमिकल्स होता है, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर हो सकता है.
टैटू बनाने के लिए नीले रंग की स्याही का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें एल्यूमिनियम और कोबाल्ट होता है. यह स्किन के लिए नुकसानदेह हो सकता है.
टैटू बनाने के लिए सूई का इस्तेमाल किया जाता है. यदि एक ही सूई का दो व्यक्तियों पर उपयोग किया जाए तो त्वचा संबंधित रोग और एचआईवी होने का खतरा बढ़ सकता है.
कुछ डिजाइन ऐसे होते हैं जिनमें सुई को शरीर में गहराई तक चुभाया जाता है. इसके कारण मांसपेशियों को काफी नुकसान पहुंचता है.
टैटू की डाई एलर्जिक रिएक्शन का कारण बन सकती है. आप टैटू बनवाने के सालों बाद तक इस परेशानी के शिकार बने रह सकते हैं.
यदि आप टैटू बनवाने जा रहे हैं तो पहले हेपेटाइटिस बी का टीका जरूर लगाएं. जहां पर टैटू बनवाएं हैं वहां पर हर दिन एंटीबायोटिक क्रीम लगाएं.
टैटू बनी हुई त्वचा पर ज्यादा पसीना नहीं आता. इससे शरीर के ठंडे होने की क्षमता में कमी आती है और दिल को नुकसान पहुंचता है.
जिन लोगों को डायबिटीज है उन्हें टैटू नहीं बनवाना चाहिए क्योंकि ये घाव में संक्रमण के खतरे को बढ़ा देता है.
सेना और पुलिस में ऐसा माना जाता है कि टैटू बनवाए शख्स की पहचान आसानी से हो सकती है, जो सुरक्षा के लिहाज से ठीक नहीं है.