हर कोई अपने जीवन में खुश रहना चाहता है. इसकी चाहत में वह पूरी जिंदगी भटकता रहता है.
आइए आपको बताते हैं प्रेमानंद महाराज के मुताबिक किसी भी इंसान के जीवन में दुख आने का सबसे बड़ा कारण क्या है.
प्रेमानंद महाराज के मुताबिक किसी भी इंसान के जीवन में दुख आने का सबसे बड़ा कारण है उम्मीद.
ज्यादा उम्मीदें लगाना हमारी खुशी को छीन सकता है. ये उम्मीदें पार्टनर, दोस्त या फैमिली मेंबर किसी से भी हो सकती हैं.
हम अपने दोस्त, पार्टनर, रिश्तेदार या फैमिली मेंबर्स से ज्यादा लगाव रखते हैं. इसलिए उनसे ज्यादा उम्मीदें भी रखते हैं. यही उम्मीदें हमारे दुख का कारण बनती हैं.
प्रेमानंद महाराज ही नहीं साइकोलॉजिस्ट भी सुझाव देते हैं कि खुश रहना है तो दूसरों से उम्मीदें करना बंद कर दें.
श्रीमद्भागवत महापुराण में भी एक उक्ति है, 'आशा हि परमं दुःखं.' इसका मतलब है कि 'आशा या उम्मीद ही दुख का सबसे बड़ा कारण है.
कहा जाता है कि सच्ची खुशी दूसरों पर निर्भर होने के बजाय आत्मनिर्भरता में ही है.