काले या गोरे, किस वजह से होते हैं लोग?

(Photos Credit: Meta AI and Pixabay)

जब हम अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे देशों के लोगों को देखते है तो वहां के लोगों का रंग गोरा दिखता है. अफ्रीकी देशों के लोगों को देखते है तो वहां के लोग काले दिखते हैं. 

अब सवाल उठता है कि आखिर किसी का रंग गोरा तो किसी का काला क्यों होता है. आइए जानते हैं इसके पीछे कारण क्या है. 

वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो स्किन की रंग के पीछे जो चीज काम करती है उसे मेलेनिन कहा जाता है.

यदि मेलेनिन आपके शरीर के भीतर बहुत ज्यादा है तो आपकी स्किन का रंग ज्यादा डार्क होगा और यदि इसकी संख्या कम है तो आपकी स्किन का रंग साफ होगा.

अफ्रीका में रहने वाले लोगों के शरीर में मेलेनिन ज्यादा होता है, इसी वजह से उनकी स्किन का रंग काला होता है.

एक्सपर्ट्स के मुताबिक जब आप सूरज की रोशनी में ज्यादा रहते हैं तब भी आपकी स्किन का रंग काला हो जाता है.

अफ्रीका के लोग जहां रहते हैं, वहां गर्मी बहुत पड़ती है. सूरज की हानिकारक अल्ट्रावायलट किरणे भी इंसानों के शरीर पर पड़ती है.

गर्मी और अल्ट्रावायलट किरणों के कारण मेलेनिन ज्यादा बनता है और इसके कारण भी स्किन का रंग ज्यादा डार्क हो जाती है.

ठंडे देश में रहने वाले लोगों के शरीर में मेलेनिन की मात्रा कम बनती है इसलिए इनका रंग साफ होता है.

भारत की बात करें तो केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में गर्मी बहुत पड़ती है. ऐसे में यहां के लोगों की त्वचा कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के निवासियों की तुलना में काली होती है.