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बच्चे की आवाज और बोली हर कोई को पसंद होती है. मां बाप बच्चे की जन्म के बाद से ही उसके मुंह से निकलने वाले पहले शब्द के लिए बेसब्री से इंतजार करते हैं.
बच्चे के द्वारा किसी भी भाषा या बोली बोलने या समझने कि एक निश्चित प्रक्रिया होती है. ये सभी बच्चों में एक जैसी ही होती है.
बच्चे को अगर शुरू से ही दो भाषाओं का माहौल मिलता है तो वह जन्म से ही दोनों भाषाओं को सीखना और बोलना शुरू कर देता है.
कई रिसर्च के मुताबिक बच्चा मां के गर्भ से ही भाषा को समझना शुरू कर देता है. गर्भ में बच्चे को दिल की धड़कनों को सुनने की आदत हो जाती है, जिसके कारण वो भीड़ में भी अपनी मां को पहचान जाता है.
तीन महीने का होने के बाद बच्चा आवाज को सुनने, बात करते समय आपके चेहरे को देखने और आवाज पर प्रतिक्रिया देना शुरू कर देता है.
6 महीने के होने के बाद बच्चा आसान शब्द जैसे दादा और मां बोलने लगता है. इसके साथ ही वह अपने नाम को भी समझने लगता है.
9 महीने के होने के दौरान बच्चा बेहद आसान शब्द और आम बोलचाल के शब्द जैसे हां, ना, टाटा और बाय-बाय के बारे में सीख जाता है.
एक साल के होने के बाद बच्चे साफ-साफ कहना शुरू कर देते हैं. हर समय सुनने वाले शब्दों के मतलब समझना शुरू कर देते है.
18 महीने के होने के बाद बच्चे आसान शब्दों के साथ-साथ आसपास के लोगों को बुलाने लग जाते हैं.
दो साल के होने के बाद बच्चे दो या चार शब्दों को मिलाकर बोलने लगते है, और अपनी बात माता पिता को कहना शुरू कर देते हैं.