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पूजा घर को बाथरूम के पास रखने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, जो अशुद्धि का संकेत देता है और सकारात्मकता में कमी कर सकता है.
सोने के कमरे में पूजा घर रखना उचित नहीं माना जाता, खासकर अगर उसमें पति-पत्नी सोते हैं. इससे पूजा स्थल की पवित्रता भंग हो सकती है.
अगर घर में पूजा घर है, तो उसे रसोई के ऊपर या नीचे नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि रसोई में अग्नि का स्थान होता है जो पूजा स्थल के लिए उपयुक्त नहीं होता.
सीढ़ियों के नीचे पूजा घर रखना वास्तु दोष को बढ़ावा दे सकता है. ऐसा करने से देवताओं का अपमान माना जाता है.
मुख्य द्वार के पास पूजा घर रखना भी अनुचित होता है, क्योंकि वहां अधिक आवाज़ और हलचल होती है जो ध्यान में बाधा डाल सकती है.
पूजा स्थल को भारी सामान जैसे अलमारी या टेबल के नीचे या ऊपर नहीं रखना चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा में रुकावट आती है.
बेसमेंट में नमी और कम रोशनी होती है, जो पूजा के लिए शुभ नहीं मानी जाती. वहां पूजा स्थल बनाने से सकारात्मकता में कमी आ सकती है.
वास्तु के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम दिशा को पूजा घर के लिए शुभ नहीं माना जाता. यह दिशा पूर्वजों की मानी जाती है और यहां पूजा करने से समस्याएं आ सकती हैं.
भोजन कक्ष के पास पूजा घर रखना भी अशुभ माना गया है, क्योंकि वहां खाने-पीने का कार्य होता है, जो पवित्रता में बाधा डाल सकता है.