Photo Credit: Pexels and Pixabay
जहां प्यार है, वहीं तकरार भी है. मियां-बीवी में तकरार जब तक तकरार रहे तब तक तो ठीक है लेकिन जब यही तकरार लड़ाई-झगड़े में बदल जाती है तो तलाक की नौबत आ जाती है.
आज रिश्तों में बढ़ते तनाव, आधुनिक जीवनशैली, इमोशनल और फिजिकल सपोर्ट की कमी सहित कई ऐसी वजहें हैं, जिनके चलते कुछ कपल्स अलग होने का फैसला कर रहे हैं.
दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में तलाक की दर 30 प्रतिशत से ज्यादा है. साल 2005 में भारत में तलाक लेने की दर 0.6 प्रतिशत थी, जो साल 2019 में बढ़कर 1.1 प्रतिशत तक आ पहुंची.
हमारे देश में तलाक के सबसे ज्यादा मामले दिल्ली से आते हैं. यहां तलाक की दर 7.7 प्रतिशत है. तमिलनाडु में यह 7.1 प्रतिशत, तेलंगाना में 6.7 प्रतिशत और केरल में 6.3 प्रतिशत है.
तलाक के अधिकतर मामलों में घरेलू हिंसा और धोखा सबसे बड़ी वजह होती है. इन कारणों से रिश्तों में दरार पड़ती है.
शादी में सम्मान और इमोशनल सपोर्ट की कमी तलाक के कई मामलों में अहम भूमिका निभाती है. खासकर महिलाएं इस वजह से रिश्ते खत्म करती हैं.
कई बार लोग अपनी शादी में प्यार की कमी महसूस करते हैं और जिंदगी में नए सिरे से शुरुआत करने के लिए तलाक का फैसला लेते हैं.
एक स्टडी के मुताबिक साल 2021 से 2022 के बीच 25 से 34 साल की उम्र के लोगों ने सबसे अधिक तलाक लिए. इसके बाद 18 से 24 साल के लोगों ने तलाक के लिए सबसे ज्यादा अर्जी डाली है.
तलाक लेने वालों की लिस्ट में 35 से 44 और फिर 45 से 54 साल की उम्र वाले लोग भी हैं. 55 से लेकर 64 साल और इससे ज्यादा की उम्र के लोग तलाक लेने से नहीं हिचक रहे हैं.
आज की महिलाएं आत्मनिर्भर हैं और वित्तीय सुरक्षा की चिंता के बिना तलाक का फैसला लेने से नहीं हिचकिचातीं. पहले महिलाएं बच्चों की जिम्मेदारी और वित्तीय चिंताओं के कारण तलाक का फैसला नहीं ले पाती थीं. आज तलाक लेने के लिए सबसे ज्यादा अर्जी महिलाएं ही डालती हैं.