शादी के फेरे क्यों नहीं देखती लड़के की मां?

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शादी, हिंदू धर्म के सबसे पवित्र रिवाज में से एक है. शादी के दौरान कई रीति-रिवाज निभाए जाते हैं, जैसे कन्यादान, सात फेरे और गृह प्रवेश आदि.

इन सभी रस्मों का शादी में बेहद खास महत्व होता है. इन्हीं रीति-रिवाजों को पूरा कर शादी संपन्न मानी जाती है.

लेकिन क्या आप इस बात को जानते हैं कि मां ही अपने बेटे की शादी में नहीं जाती है और न ही उसे फेरे लेते हुई देखती है. 

बता दें कि, बेटे की शादी में मां का शामिल न होने का कारण घर की देखभाल करना होता था.

जब घर के सभी लोग चले जाते थे तो पीछे से घर की देखभाल के लिए मां रुक जाती थी.

वहीं माना जाता है कि, शादी के बाद जब दुल्हन शादी कर घर पर आती है तो दुल्हन के ग्रह प्रवेश के लिए मां घर पर रुकती है. 

कई जगह माना जाता है कि, मां के फेरे देखने से बच्चे के वैवाहिक जीवन में अशुभ फल मिल सकता हैं. जिसकी बजह से मां कभी भी बेटे को शादी के फेरे लेते नहीं देखती.

वहीं बता दें कि, ये परंपरा उत्तराखंड, बिहार, मध्यप्रदेश और राजस्थान में देखने को मिलती है. 

हालांकि अब समय के साथ-साथ लोगों की सोच में बदलाव आने लगा है. आजकल मां अपने बेटों की शादी में जाती हैं और उसे पूरी तरह इंजॉय भी करती हैं.