जुबान पर चढ़ गए मुनव्वर राणा के ये शेर

मशहूर शायर और कवि मुनव्वर राणा की कविताओं और शेरो शायरी का जादू लोगों के सिर पर चढ़कर बोलता है. उनकी कुछ बेहतरीन शायरी पढ़िए.

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आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए

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किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई मैं घर में सबसे छोटा था मेरी हिस्से में मां आई

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सिरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जां कहते हैं हम तो इस मुल्क की मिट्टी को भी मां कहते हैं

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किसी भी मोड़ पर तुमसे वफादारी नहीं होगी हमें मालूम है तुमको यह बीमारी नहीं होगी

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भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है मोहब्बत करने वाला इस लिए बरबाद रहता है

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कभी खुशी से खुशी की तरफ नहीं देखा तुम्हारे बाद किसी की तरफ नहीं देखा

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मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता अब इस से ज्यादा मैं तेरा हो नहीं सकता

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उस पेड़ से किसी को शिकायत न थी मगर ये पेड़ सिर्फ बीच में आने से कट गया

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तुम्हें भी नींद सी आने लगी है थक गए हम भी चलो हम आज ये किस्सा अधूरा छोड़ देते हैं

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सियासी आदमी की शक्ल तो प्यारी निकलती है मगर जब गुफ्तगू करता है चिंगारी निकलती है

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कांटों से बच गया था मगर फूल चुभ गया मेरे बदन में भाई का त्रिशूल चुभ गया

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