अल्लामा इकबाल के नाम से मशहूर मोहम्मद इकबाल ने कई मशहूर शेर लिखे, जो आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं.
खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले
, खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है
तिरे सीने में दम है दिल नहीं है, तिरा दम गर्मी-ए-महफिल नहीं है...गुजर जा अक्ल से आगे ये नूर, चराग ए राह है मंजिल नहीं है!
अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान ए अक्ल... लेकिन कभी-कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे
अपने मन में डूबकर पा जा सुराग-ए-जिंदगी... तू अगर मेरा नहीं बनता न बन अपना तो बन
इश्क भी हो हिजाब में हुस्न भी हो हिजाब में... या तो खुद आश्कार हो या मुझे आश्कार कर
हजारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है... बड़ी मुश्किल से होता चमन में दीदा-वर पैदा
सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा... हम बुलबुलें हैं इस की ये गुलसितां हमारा
मन की दौलत हाथ आती है तो फिर जाती नहीं... तन की दौलत छांव है आता है धन जाता है धन
दुनिया की महफिलों से उकता गया हूं या रब... क्या लुत्फ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो