ये नारे रहे हैं यूपी की सियासत में फेमस

उत्तर प्रदेश की सियासत में एक से बढ़कर एक स्लोगन फेमस हुए हैं. कई ऐसे स्लोगन भी दिए गए, जो जनता की जुबां पर चढ़ गए.

बीएसपी के संस्थापक कांशीराम ने नारा दिया था- ठाकुर, बाभन, बनिया छोड़... बाकी सब हैं डीएस-फोर.

बीएसपी का एक और नारा फेमस हुआ था. नारा था- तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार. इस नारे पर विवाद भी खूब हुआ था.

राम मंदिर आंदोलन में VHP का नारा था- बच्चा बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम का.

साल 1993 में बीएसपी-एसपी ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और नारा दिया था- मिले मुलायम कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम.

यूपी में कानून व्यवस्था का राज स्थापित करने के लिए बीएसपी ने नारा दिया था- चढ़ गुंडन की छाती पर, मुहर लगेगी हाथी पर.

बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ बीएसपी ने नारा दिया था- चलेगा हाथी, उड़ेगी धूल... ना रहेगा हाथ, ना रहेगा फूल.

साल 2007 विधानसभा चुनाव में बीएसपी का नारा था- हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्म विष्णु महेश है.

2007 चुनाव में ही बीएसपी का एक और नारा फेमस हुआ था- ब्राह्मण शंख बजाएगा, हाथी बढ़ता जाएगा.

इस चुनाव में समाजवादी पार्टी का नारा था- यूपी में है दम, क्योंकि जुर्म यहां है कम.

2022 विधानसभा चुनाव में बीजेपी का नारा था- जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे. जबकि समाजवादी पार्टी का नारा था- बाइस में बाइसिकल.