प्राकृतिक आपदाओं पर किसी का जोर नहीं होता है. भूकंप, सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएं चंद पलों में बड़ी तबाही का कारण बन जाती हैं.
इनमें केदारनाथ आपदा और भुज के भूकंप को कोई कैसे भूल सकता है जब न सिर्फ शहर के शहर तबाह हुए बल्कि हजारों लोगों ने अपनी जान गवाई.
पिछले लगभग 70 सालों में भारत ने कई बार भीषण भूकंप झेले हैं और साल में देश के अलग-अलग हिस्सों में भूकंप के झटके आते रहते हैं.
हालांकि, हर कोई उम्मीद यही करता है कि भूंकप की तीव्रता इतनी न हो कि यह सबकुछ तबाह कर दे. क्योंकि कई बार देश में इतने बड़े भूकंप आए हैं जो तबाही का कारण बने हैं.
भारत में अब तक का सबसे भीषण साल 1934 में आया, जब भारत अपनी आजादी की लड़ाई लड़ रहा था. 15 जनवरी 1934 को बिहार में 8.1 तीव्रता का जबरदस्त भूकंप आया था. इस दौरान मुंगेर और जमालपुर शहर मलबे के ढेर में बदल गया था. यह भारतीय इतिहास के सबसे भयानक भूकंपों में से एक है. इसमें 30,000 से ज्यादा लोगों की जान जाने का दावा किया गया है.
आजादी के बाद, साल 1950 में असम भूकंप जिसे मेडोग भूकंप के रूप में भी जाना जाता है. यह भूकंप 15 अगस्त, 1950 को आया था. रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 8.6 थी. इस भूकंप का एपिसेंटर तिब्बत में स्थित था. भूकंप की वजह से असम और तिब्बत दोनों जगहों जबरदस्त तबाही मचाई. इसमें अकेले असम में 1,500 से अधिक लोग मारे गए थे. इसे 20वीं शताब्दी के दस सबसे बड़े भूकंपों में से एक माना जाता था.
20 अक्टूबर, 1991 को उत्तराखंड राज्य में स्थित उत्तरकाशी, चमोली और टिहरी जिलों में 6.1 तीव्रता का भूकंप आया था. इस भूकंप में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे. इस प्राकृतिक आपदा में संपत्ति का भी बहुत ज्यादा नुकसान हुआ था. गौरतलब है कि भूकंप के झटके दिल्ली तक महसूस किए गए थे.
30 सितंबर, 1993 को महाराष्ट्र राज्य में आए भूकंप में 20,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे. लातूर जिले के किल्लारी गांव में आए भूकंप की तीव्रता 6.4 मापी गई. इस भूकंप का सबसे बुरा असर उस्मानाबाद और लातूर के रहने वालों पर पड़ा. भूकंप की वजह से 52 से ज्यादा गांव पूरी तरह से धराशायी हो गए थे.
इतिहास के सबसे भीषण भूकंपों में से एक, साल 2001 में आया था जिसका एपिसेंटर गुजरात का भुज था. भूकंप सुबह 8 बजकर 40 मिनट पर आया और दो मिनट तक रहा. इस भूकंप में 20 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई और हजारों लोग घायल हो गए. इस भूकंप में भुज पूरी तरह से तबाह हो गया था.