क़ाज़ी नज़रुल इस्लाम बांग्ला के बड़े कवि तो थे ही, भाषा और राष्ट्रीयता के साथ साझा संस्कृति के भी पहरुए के रूप में भगवान कृष्ण पर भजन भी लिखे.
क़ाज़ी नज़रुल इस्लाम बांग्ला के बड़े साहित्यकार तो थे ही उनकी पहचान ‘विद्रोही कवि’ के रूप में भी रही.
देश की गुलामी के दिनों में उनकी 1922 में प्रकाशित कविता ‘विद्रोही’ इतनी लोकप्रिय हुई कि इनका उपनाम ही 'विद्रोही' पड़ गया.
पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश दोनों ही जगहों पर उनकी कविता, गीत और संगीत का जबरदस्त है. वह सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल थे.
साल 1971 में बांग्लादेश की आजादी के बाद उन्हें बांग्लादेश ने ‘राष्ट्रकवि’ घोषित किया.
नजरुल का जन्म 24 मई, 1899 को पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले में आसनसोल के पास चुरुलिया गांव में एक गरीब मुस्लिम परिवार में हुआ था.
आइए जानें क़ाज़ी नज़रुल इस्लाम के पांच कृष्ण भजन को.
1. अगर तुम राधा होते श्याम 2. कृष्ण कन्हईया आयो मन में मोहन मुरली बजाओ
3. जयतू श्रीकृष्ण श्रीकृष्ण मुरारी शंखचक्र गदा पद्मधारी 4. जगजन मोहन संकटहारी 5. चक्र-सुदर्शन छोड़के मोहन तुम बने बनवारी