आज के दौर में भी माता सीता और भगवान राम के रिश्ते की मिसालें दी जाती हैं.
माता सीता के विवाह के लिए रखे गए स्वयंवर में भगवान श्रीराम ने भगवान शिव के धनुष को तोड़ा था और माता सीता से विवाह किया था.
रामचरित मानस और वाल्मीकि रामायण में भगवान राम और माता सीता के विवाह, उनके वनवास पर जाने की उम्र और स्थितियों के बारे में काफी वर्णन मिलता है.
रामचरितमानस में तुलसीदास ने दोहा लिखा है, “वर्ष अठ्ठारह की सिया, सत्ताईस के राम || कीन्हो मन अभिलाष तब, करनो है सुर काम”
इस दोहे से पता चलता है कि माता सीता 18 और श्री राम 27 वर्ष के थे जब उनका विवाह हुआ था. माता सीता और श्री राम के बीच 9 वर्ष का अंतर था.
वहीं, वाल्मीकि रामायण में भगवान राम की आयु मात्र 13 वर्ष और माता सीता की आयु मात्र 6 वर्ष बताई गई है.
वाल्मीकि रामायण के अनुसार विवाह के 12 साल बाद 18 वर्ष की उम्र में माता सीता अपने पति प्रभु राम के साथ वनवास चली गईं थीं.
उस समय भगवान राम की उम्र 27 वर्ष थी. जब वे 14 वर्ष का वनवास पूरा करके लौटे तो 33 वर्ष की उम्र में अयोध्या की महारानी बनी थीं.