हमने बहुत सी प्रेम कहानियां सुनी हैं लेकिन अमृता प्रीतम, साहिर लुधियानवी और इमरोज की प्रेम कहानी जैसा कुछ नहीं.
मशहूर लेखिका अमृता प्रीतम का गीतकार और शायर, साहिर लुधियानवी के लिए प्यार जग-जाहिर था.
उन्होंने किसी और के साथ शादी के बंधन में रहने के बावजूद साहिर से प्यार करने की हिमाकत की और वह भी उस जमाने में जब महिलाएं मर्यादा का दूसरा नाम थीं.
हालांकि, समाज के बंधन और जिंदगी के हालात कुछ ऐसे रहे कि साहिर और अमृता कभी एक न हो सके. अमृता ने साहिर से प्रेम किया और इमरोज ने अमृता से.
इमरोज एक चित्रकार थे और जब अमृता से मिले तो वह जानते थे कि अमृता साहिर से प्यार करती हैं लेकिन फिर भी वह खुद को उनसे प्यार करने से नहीं रोक पाए.
इमरोज का अमृता के लिए प्यार कुछ ऐसा था कि कई बार स्कूटर पर उनके पीछे बैठे हुए अमृता ने अपनी उंगलियों से इमरोज की पीठ पर साहिर का नाम लिखा.
इस बारे में इमरोज का कहना था, "ये उनका प्यार था और मेरी पीठ भी उनकी थी. मुझे कैसे बुरा लगता. साहिर अब मेरा भी हिस्सा है. उनका नाम मेरी पीठ पर है. वह उन्हें चाहती हैं तो चाहती हैं, मैं भी उन्हें चाहता हूं."
अमृता और इमरोज ताउम्र एक छत के नीचे एक घर में रहे समाज के कायदों के अनुसार कभी शादी नहीं की.
और इमरोज अमृता से कहा करते थे- तू ही मेरा समाज है.