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पंचांग के अनुसार छठ पूजा का यह पर्व हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है.
इसकी शुरुआत नहाए खाए के साथ होती है और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ पर्व का समापन होता है.
छठ पूजा के दौरान साफ-सफाई का खास ख्याल रखना जरूरी है. पूजा सामग्री, बांस की टोकरी, और प्रसाद को बिना धोए इस्तेमाल न करें.
छठ पूजा में सूर्य देव को अर्घ्य देते वक्त चांदी, स्टील, या प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल करने से बचें. कोशिश करें कि इस पूजा में मिट्टी के बर्तनों के साथ मिट्टी के चूल्हे का ही इस्तेमाल करें.
इस पूजा में दिल और दिमाग को शांत और पॉजिटिव रखना जरूरी है. पूजा के समय बुरी बातें या नेगेटिव सोच से बचें.
इस पर्व के शुभ दिनों में भूल कर भी नॉनवेज का सेवन न करें. इसके साथ इस पूजा में प्याज लहसुन का सेवन भी वर्जित माना जाता है.
पूजा के लिए बनाए गए प्रसाद जैसे ठेकुआ या अन्य सामग्री बनाने में गंदे बर्तन या पानी का उपयोग न करें.
कहा जाता है कि छठ पूजा का व्रत कठिन उपवासों में से एक है. इस दौरान व्रत कर रही महिलाओं को पूजा की शुरुआत से करीब 10 दिन पहले से ही आरव चावल और सेंधा नमक इस्तेमाल करना चाहिए.
सूर्य को अर्घ्य देने के लिए साफ पानी का ही इस्तेमाल करें साथ ही सूर्य को अर्घ्य देते वक्त हमेशा सूर्य देव की ओर मुख रखें. पूजा स्थल की तरफ पीठ रखने से पूजा का अपमान माना जाता है.
छठ पूजा के दौरान काले रंग के कपड़े न पहनें. लाल,पीला या केसरी रंग शुभ माना जाता है.
नोट- यहां बताई गई बातें सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. Gnttv.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.