हिंदू धर्म में नियमित पूजा-पाठ के लिए सभी के घरों में एक छोटा मंदिर होता है.
भगवान की नियमित पूजा या किसी विशेष अवसर पर भगवान को भोग लगाया जाता है.
प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर कहते हैं कि कई लोग देवी-देवताओं की प्रतिमा घर पर रखते हैं, लेकिन समय पर उन्हें भोग नहीं लगाते हैं.
देवकीनंदन ठाकुर कहते हैं कि बिना भगवान को भोग लगाए कभी भी भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए.
भगवान को भोग लगाने के बाद भोजन ग्रहण करना, प्रसाद ग्रहण करने के बराबर हो जाता है.
नियमित रूप से ऐसा प्रसाद रूपी भोजन ग्रहण करने से मन और चित्त शुद्ध होता है.
देवकीनंदन अपनी कथा में यह भी बताते हैं कि व्यक्ति को सिर्फ वही भोजन ग्रहण करना चाहिए जो भगवान को अर्पित कर सकें.
भगवान के भोग में प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा का उपयोग नहीं किया जाता, अगर व्यक्ति इस तरह का भोजन करेगा तो उसका तन-मन शुद्ध होने लगेगा.