शहनाई के जादूगर
थे भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान

उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ एक प्रख्यात शहनाई वादक थे, जिन्हें शहनाई को लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है. 

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आईए जानें शहनाई के जादूगर उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के जीवन के बारे में.

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भारत रत्न जैसे सर्वोच्च सम्मान से नवाजे जा चुके उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का जन्म 21 मार्च 1916 को बिहार राज्य के डुमरांव के ठठेरी बाजार में हुआ था.

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उनका जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जिसकी संगीत पृष्ठभूमि थी और उनके पूर्वज भोजपुर की रियासत में संगीतकार थे.

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उस्ताद बिस्मिल्लाह खान जी को संगीत के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए साल 2001 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.

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14 साल की उम्र में बिस्मिल्लाह खान ने अपने चाचा के साथ पहली बार इलाहाबाद के संगीत परिषद् में शहनाई बजाने का कार्यक्रम किया था.

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उन्हें अपना पहला बड़ा ब्रेक 1937 में मिला, जब उन्होंने कलकत्ता में अखिल भारतीय संगीत सम्मेलन में एक संगीत कार्यक्रम में भाग लिया.

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अपने शानदार करियर के दौरान उन्होंने दुनिया भर में कई प्रमुख आयोजनों में भाग लिया.

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बिस्मिल्लाह खान को वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर अपनी शहनाई बजाने का दुर्लभ सम्मान मिला था.

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उन्हें भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली के लाल किले में पहले स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त 1947) पर शहनाई बजाने के लिए आमंत्रित किया था.

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उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ां ने न सिर्फ खुद को एक प्रसिद्ध शहनाई वादक के रुप में स्थापित किया बल्कि शहनाई को भी संगीत की दुनिया में एक अलग पहचान दिलवाई.