मकई के वेस्ट से बायोडिग्रेडेबल बैग बनाकर कमाए 1.3 करोड़

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हैदराबाद स्थित कंपनी, BioReform 100% पर्यावरण-अनुकूल, बायोडिग्रेडेबल और कम्पोस्टेबल बैग बनाती है जो 180 दिनों से भी कम समय में पूरी तरह से बायोडिग्रेड हो जाते हैं.

इस कंपनी की स्थापना मोहम्मद अज़हर मोहिउद्दीन ने साल 2022 में की. 24 साल के अजहर मास्टर्स स्टूडेंट हैं.

भारत के पहले स्टूडेंट-फोकस्ड इनक्यूबेटर, एडवेंचर पार्क ने बायोरिफॉर्म कंपनी को इनक्यूबेशन दिया है.  

अपनी स्थापना के बाद से अब तक बायोरिफॉर्म ने 6 मिलियन से ज्यादा प्लास्टिक बैग्स को रिप्लेस किया है और 8 शहरों में अपने ऑपरेशन को बढ़ाया है. 

बायोरिफॉर्म कंपनी मकई के वेस्ट-शुगर, सेल्युलोज और दूसरे नेचुरल कंपोनेंट्स को सस्टेनेबल बायोपॉलिमर में बदलने के लिए बायोटेक्नोलॉजी प्रोसेस का इस्तेमाल करती है और फिर इससे बायोडिग्रेडेबल बैग्स बनाए जा रहे हैं. 

अजहर मे 1 करोड़ रुपये की फंडिंग के साथ एडवेंचर पार्क इनक्यूबेटर प्रोग्राम में जगह सुरक्षित की और उन्होंने हैदराबाद में एक फैक्ट्री स्थापित की और बायोडिग्रेडेबल पॉलिमर बैग का उत्पादन शुरू किया.

हैदराबाद स्टार्टअप ने FY23 में 16 लाख रुपये का टर्नओवर कमाया जो FY24 में बढ़कर 1.3 करोड़ रुपये हो गया.

इस इको-बैग स्टार्टअप से आज बहुत से लोगों को रोजगार मिल रहा है. उनकी हैदराबाद में 2500 वर्ग फुट की फैक्ट्री है, जिसमें कर्मचारी फैक्ट्री संचालन, सोशल मीडिया प्रबंधन, बैक-एंड फ़ंक्शन और बिक्री संभालते हैं. 

बायोरिफॉर्म का मिशन सिर्फ कमर्शियल वेंचर नही है; बल्कि यह पृथ्वी को हेल्दी रखने का अभियान है.