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अपराजिता के फूल का उपयोग विशेष रूप से मां दुर्गा और लक्ष्मी माता की पूजा में किया जाता है. इसे माता के चरणों में चढ़ाने से समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है.
अपराजिता के फूल को ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है. इसका उपयोग सरस्वती पूजा में किया जाता है ताकि विद्या और कला के क्षेत्र में प्रगति हो सके.
अपराजिता की जड़ का रस निकालकर 5 से 6 बूंदें नाक में डालने से माइग्रेन जैसी समस्या में राहत मिलती है.
अपराजिता के फूल का उपयोग आयुर्वेद में मानसिक तनाव को दूर करने, स्मरण शक्ति बढ़ाने और दिमाग को तेज करने के लिए जाना जाता है.
अपराजिता के फूल का रस त्वचा और बालों पर इस्तमाल करने से बाल मजबूत और त्वचा को चमकदार बनाने में मदद करता है.
ध्यान और योग के दौरान अपराजिता के फूल का उपयोग मन को शांत करने और ध्यान की गहराई को बढ़ाने के लिए किया जाता है. इसका सुगंध मन को शांति प्रदान करता है.
अपराजिता का पौधा घर के वास्तु दोष को दूर करने में भी सहायक होता है. इसे आंगन में लगाने से वास्तु दोष शांत होते हैं और घर में शांति बनी रहती है.
अपराजिता का फूल पूजा के दौरान वातावरण को शुद्ध करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. इसे जलाने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है.
जिन लोगों को अत्यधिक पसीना आता है, विशेषकर हथेलियों और पैरों के तलवों में, वे अपराजिता की पत्तियों के 2 चम्मच रस में 6 से 7 बूंद अदरक के रस को मिलाकर पीने से यह समस्या धीरे-धीरे कम होने लगती है.
अपराजिता के बीजों का 2 ग्राम पाउडर, 2 चुटकी सेंधा नमक और 2 चुटकी सोंठ को मिलाकर रात में गर्म पानी के साथ लेने पर पेट साफ रहता है.