क्या पति गुजारा भत्ता मांग सकता है?

(Photos Credit: Getty)

भारत में पति गुजारा भत्ता (maintenance/alimony) मांग सकता है, लेकिन यह महिला की तुलना में कम मामलों में दिया जाता है. 

हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 24 और 25 के तहत पति को अंतरिम और स्थायी गुजारा भत्ता का अधिकार मिल सकता है. 

अगर पति आर्थिक रूप से कमजोर है और पत्नी की आय उससे अधिक है, तो वह अदालत से गुजारा भत्ता की मांग कर सकता है.  

गुजारा भत्ता तय करते समय अदालत पति-पत्नी की आर्थिक स्थिति, संपत्ति, और जीवन स्तर को ध्यान में रखती है.  

विशेष विवाह अधिनियम, 1954 और पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936 में भी पति को गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार दिया गया है.  

मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत पति को गुजारा भत्ता नहीं मिल सकता, लेकिन मुस्लिम विवाह संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत कुछ प्रावधान हो सकते हैं.  

क्रिश्चियन मैरिज एक्ट, 1872 के तहत भी पति गुजारा भत्ता के लिए आवेदन कर सकता है.  

अगर पति सक्षम है और खुद कमाने में सक्षम है, तो आमतौर पर अदालत गुजारा भत्ता देने से इनकार कर सकती है.  

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कई मामलों में पति को गुजारा भत्ता देने के निर्देश दिए गए हैं, खासकर जब पत्नी की आय अधिक हो.  

हर मामले की परिस्थितियों के आधार पर अदालत तय करती है कि पति को गुजारा भत्ता मिलेगा या नहीं.