संविधान के मुताबिक, किसी भी राज्य का सीएम बनने के लिए उक्त नेता का विधानसभा या विधान परिषद (जिन राज्यों में दो सदन हैं) का मेंबर होना अनिवार्य है.
हालांकि कोई भी बिना सदस्य रहे या चुनाव हारकर भी मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकता है. बस उसे 6 महीने के अंदर सदस्यता दिखानी होती है.
शपथ लेने के 6 महीने के अंदर अगर वह सदन की सदस्यता नहीं दिखा पाता है तो उसे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा. यही नियम संसद में पीएम पद के लिए भी लागू होता है.
नियम कहता है कि चुनाव के बाद बहुमत वाला दल किसी भी नेता को चुनकर उसका नाम राज्यपाल के पास सीएम के लिए भेज सकता है.
इसके बाद राज्यपाल उसे सीएम पद की शपथ दिलाता है. शपथ लेने के बाद उसे सदन की सदस्यता साबित करने के लिए 6 महीने का समय मिलता है.
इस दौरान उसकी पार्टी का कोई जीता हुआ नेता उस सीट से इस्तीफा दे देता है. इसके बाद वहां फिर से चुनाव की स्थिति बनती है.
इसके बाद चुनाव जीतकर अपनी सदस्यता साबित कर पद को आगे जारी रख सकता है.