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आजकल मोबाइल फोन यूजर्स प्रीमियम फोन की ओर तेजी से अट्रैक्ट हो रहे हैं. प्रीमियम स्मार्टफोन महंगे होने के कारण ज्यादातर यूजर्स सेकेंड हैंड फोन तक खरीदने से नहीं हिचकते लेकिन क्या आपको पता है कि ये फोन चोरी का भी हो सकता है. आइए जानते हैं क्या चोरी का फोन खरीद सकते हैं.
कुछ लोग मोबाइल फोन, टैबलेट, लैपटॉप या कंप्यूटर खरीदते समय पक्के बिल की मांग नहीं करते. बेचने वाला भी बड़ी ही मासूमियत के साथ कोई बहाना बनाकर उसका ओरिजिनल बिल नहीं देता.
आपको मालूम हो कि यदि इस तरह का मोबाइल फोन या फिर कंप्यूटर चोरी का हुआ तो खरीदने वाले व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है.
यदि आप गलती से भी चोरी का फोन खरीद लेते हैं और पुलिस आपको पकड़ लेती है तो आपको 3 साल की सजा के साथ 1 लाख रुपए का जुर्माना देना पड़ सकता है.
चोरी के मोबाइल संग पकड़े जाने पर सजा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 66 (ख) के अंतर्गत दी जाती है. इसमें सजा के साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है.पुलिस चोरी के फोन का पता उसके आईएमईआई नंबर की मदद से करती है .
आईएमईआई नंबर की मदद से पुलिस फोन को ट्रैकिंग पर डाल देती है और जैसे ही फोन ऑन होता है, वैसे ही पुलिस को फोन की एग्जैक्ट लोकेशन पता चल जाता है.
चोरी के मोबाइल फोन का हो सकता है कि किसी अपराध में शामिल किया गया हो. ऐसे मामले में पुलिस इसे जब्त कर लेगी और आप हैंडसेट के साथ-साथ अपने खर्च किए गए पैसे भी खो देंगे.
चोरी के मोबाइल में गलत सॉफ्टवेयर, कोड और वायरस भी हो सकता है, जो आपकी जानकारी और व्यक्तिगत विवरण से समझौता कर सकता है. इससे आपको नुकसान पहुंच सकता है.
कभी भी मोबाइल फोन खरीदने से पहले इस बात को पक्का करें कि स्मार्टफोन बेचने वाले को आप जानते हो. इसके अलावा फोन के ओरिजनल बिल की मांग करें, जिस पर जीएसटी नंबर होना जरूरी है.
मोबाइल फोन बेचने वाले का आधार या ड्राइविंग लाइसेंस की फोटो कॉपी जरूर मांगें, जिससे आपको कोई परेशानी होने पर फोन बेचने वाले का सही एड्रेस मालूम हो सके.